मेमोरी के बारे में तो सबने सुना है लेकिन बहुत कम लोग जानते है की मेमोरी क्या होती है मेमोरी कैसे काम करती है? अगर आप स्टूडेंट हो तो आपको मेमोरी के बारे में सही जानकारी होना बहुत ही जरुरी है तो क्या आप जानना चाहते हो?
What is Computer Memory in Hindi तो चलिए पढना शुरू करे
इस आर्टिकल में Computer Memory Related Advance Information बताई गयी है|
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कंप्यूटर मेमोरी क्या है (What is Computer Memory in Hindi)
यदि हम कोई भी एक्टिविटी करते है जैसे बोलना, सुनना, देखना आदि तो ये सब एक्क्टिविटी एक याददास्त बनकर हमारे मस्तिष्क में स्टोर हो जाती है कुछ एक्टिविटी को हम करते है लेकिन याद नहीं रखते और कुछ दिमाग में स्टोर हो जाती है| तो मस्तिष्क हमारी body की मेमोरी है अगर मस्तिष्क न हो तो हम कुछ भी नहीं कर सकते क्योंकि बिना मेमोरी के कुछ भी ऑपरेट कर पाना संभव नहीं है|
इसी प्रकार जब कंप्यूटर में भी कोई Operation होता है तो उसमे मेमोरी का बहुत बड़ा योगदान रहता है सबसे पहले जब कंप्यूटर चालू होता है तो चालू होने की प्रकिया जिसे Booting कहा जाता है वह भी मेमोरी से ही शुरू होती है|
मेमोरी में कुछ Initial Frameworks होते है जिसमे Booting की सभी information होती है और इन्ही के द्वारा कंप्यूटर चालू होता है|
इसी प्रकार जब कंप्यूटर में कोई कार्य किया जाता है तो उसकी indformation मेमोरी में स्टोर होती है उसके बाद वह CPU में पर Process होने के लिये transnfer होती है|
मेमोरी में किसी भी डाटा को स्टोर करने की क्षमता होती है इसको Storage Device भी कहते है क्योंकी यह डाटा को स्टोर करती है|
ऑपरेटिंग Device जैसे:- computer, Mobile, Washing machine, ATM, आदी उपकरणों में मेमोरी लगी होती है लेकिन इनमे सभी अलग-अलग टाइप की मेमोरी होती है और सभी प्रकार की मेमोरी का काम भी अलग-अलग होता है|
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कार्यविधी और स्टोरेज के आधार पर मेमोरी कई प्रकार की होती है लेकिन ये सभी मेमोरी मुख्यतः दो तरह की ही होती है|
मेमोरी के प्रकार (Types of memory in computer in hindi)
स्टोरेज क्षमता और स्पीड, कीमत आदि के आधार पर मेमोरी कई प्रकार की होती है लेकिन मुख्यतः कंप्यूटर मेमोरी को दो भागो में विभाजित किया जाता है| बाकी जितने भी प्रकार की मेमोरी होती है वे सभी इन्ही दो प्रकारों (Primary Memory and Secondary Memory) के अंतर्गत ही होती है|
मुख्यतः दो Types की मेमोरी होती है-
- Primary Memory
- Secondary Memory
प्राइमरी मेमोरी क्या है (What is primary memory in hindi)
यह किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी होती है इस प्राइमरी मेमोरी को Main Memory भी कहा जाता है चूँकि यह computer के अन्दर ही लगी होती है इसलिये इसे Internal Memory भी कहा जाता है|
कोई भी इलेक्ट्रॉनिक (Primary Storage Devices) प्राइमरी मेमोरी के बिना रन नहीं हो सकता है|
primary Memory के द्वारा ही कंप्यूटर किसी प्रोग्राम को ऑपरेट कर पाता है यह सिर्फ उसी डाटा को Store करती है जो की कंप्यूटर में अभी चल रहा है कंप्यूटर के बंद हो जाने के बाद इसमें संगृहीत डेटा भी समाप्त हो जाता है मतलब डाटा का loss हो जाता है|
अर्थात यह एक अस्थिर (Non-Stable Memory) है| Primary Memory को अर्धचालक (Semiconductor) पदार्थ से बनाया जाता है|
जो भी डाटा और Instruction जिन पर operation करना रहता है वो सभी इसी मेमोरी में होते है|
इस मेमोरी की बहुत कम और लिमिटेड स्टोरेज क्षमता होती है| लेकिन यह सिर्फ उन्ही डाटा को स्टोर करती है जो बहुत ही काम का होता है|
प्राइमरी मेमोरी की विशेषताएँ
- यह कंप्यूटर या किसी भी उपकरण की मुख्य मेमोरी है
- यह सेकेंडरी मेमोरी की तुलना में फ़ास्ट होती है
- इसमें डाटा उपकरण के switch-off होने के बाद ख़त्म हो जाता है
- इसकी Storage Capacity लिमिटेड होती है
- यह कंप्यूटर डिवाइस के अन्दर ही लगी होती है
- यह अर्धचालक से बनी होती है
- यह CPU के द्वारा इस्तेमाल की जाती है
- इसके बिना कंप्यूटर रन नहीं हो सकता है
- यह Volatile मेमोरी होती है
प्राइमरी मेमोरी के प्रकार (Types of primary memory)
प्राइमरी मेमोरी भी कई प्रकार की होती है लेकिन इसको RAM and ROM दो भागों’ में विभाजित किया गया है|
- RAM (Read Only Memory)
- ROM (Random Access Memory)
रेम क्या है What is RAM (Random Access Memory)
यह प्राइमरी मेमोरी की सबसे पहली मेमोरी है RAM का फुल फॉर्म Random Access Memory है इसको Direct Access memory भी कहलाती है|

RAM उपकरण को Speed प्रदान करने का कार्य भी करती है जब भी कोई प्रोसेस होती है तो वह RAM के अन्दर ही सेव होती है इसकी साइज़ जितनी अधिक होती है उपकरण की कार्य करने की गति भी उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है|
इसलिये जब भी हम मोबाइल में कोई छोटा GAME खेलते है तो वह आसानी से चलता है लेकिन ज्यादा बड़े GAME खलेने पर मोबाइल हैंग होने लग जाता है क्योंकि जिस मोबाइल में गेम खेलते है, उसकी मोबाइल की RAM कम होती है उस Game के मुकाबले|
इसीलिए ज्यादा RAM वाला मोबाइल और कंप्यूटर लेना चाहिये| Storage Capacity के आधार पर यह Secondary Memory से कम होती है या कम हो सकती है| इसकी कैपेसिटी 512MB, 1GB, 2GB, 3GB, 4GB, से 8GB तक हो सकती है
एक ट्रिक MOBILE को फ़ास्ट रखने के लिये इसको 24 घंटे में एक बार जरुर बंद करना चाहिये जिससे Background में RAM के अन्दर जो बेकार Storage DATA होता है वह नष्ट हो जाता है और मोबाइल फ़ास्ट चलता है|
रेम को Random Access Memory क्यों कहा जाता है
चूँकि यह अर्धचालक से बनी होती होती है इसलिये इसमें Resister Cell होते है जो Sequence में Row और collumn के रूप में होते है इन Resistor Cells का अलग-अलग address होता है जिसे Cell Path कहा जाता है जितना भी डाटा Store होता है वह Cells में ही होता है इसलिये CPU किसी भी Address से डाटा को प्राप्त कर सकता है|
इस प्रकार इसमें CPU के द्वारा डेटा को Randomly किसी भी address से Access किया जा सकता है इसलिए इसको Random Access Memory कहा जाता है|
यह भी कई प्रकार की होती है|
रेम के प्रकार Types Of Random Access Memory
अब हम जानेंगे की रेम कितने प्रकार की होती है रेम 4 प्रकार की होती है|
- SRAM (Static RAM)
- DRAM (Dynamic RAM)
- DRDRAM (Rambus Dynamic Random Access Memory)
- Synchronous RAM
Static RAM क्या है? (What is Static RAM)
जैसा की इसके नाम से ही प्रतीत होता है की यह static (स्थिर) है इसमें डाटा तब तक ही स्टोर रहता है जब तक की इसमें electricity प्रवाहित होती रहती है इसको SRAM भी कहा जाता है, यह एक अर्धचालक मेमोरी होती है|
इसमें डाटा Cells में संगृहीत होता है चूँकि एक मेमोरी सेल में छः ट्रांजिस्टर होते है जिस कारण मेमोरी सेल्स बार-बार रिफ्रेश नहीं होता है| इसमें डाटा ज्यादा समय के लिये स्टोर रह सकता है|
अगर एक बार cell रिफ्रेश होता है तो इसका मतलब होता है की उसमे एक बार फिर से डाटा को Re-Write करना|
इसमें सामान साइज़ के डाटा को संगृहीत करने के लिये DRAM से ज्यादा RESISTER CHIP की जरुरत होती है इसलिये यह DRAM की तुलना में महँगी रहती है|
इसमें डाटा Cache Memory के तरह ही संगृहीत होता है इसलिये इसको Cache Memory भी कहते है|
Cache memory के बारे में आगे बताया जा रहा है|
डायनामिक रेम क्या है What is Dynamic RAM
जिस प्रकार SRAM स्थिर होती है उसी प्रकार इसके विपरीत Dynamic RAM अस्थिर होती है इसमें मेमोरी cell बार-बार कुछ समय के लिये रिफ्रेश होते है इसको कम पॉवर (Electricity) की आवश्यकता होती है|
यह रिफ्रेश होने का समय लगभग 4 मिली. सेकंड का होता है DRAM एक रिफ्रेश circuit से जुडी होती है इसमें भी एक Transistor और एक Capacitor जुड़े हुये होते है इसका मेमोरी सेल बार-बार रिफ्रेश होने से डाटा बरक़रार रहता है|
DRAM में मेमोरी सेल Column and Row के रूप में जमे होते है इसके प्रत्येक कक्ष में row और कॉलम का रेफरेंस नंबर होता है|
DRAM की कीमत SRAM की तुलना में कम होती है| लेकिन जितना SRAM का महत्व होता है उतनी ही DRAM महत्वपूर्ण होती है|
डाटा ट्रान्सफर के आधार पर यह दो प्रकार की होती है
- Single Data Rate (SDR)
- Double Data Rate (DDR)
Rambus डायनामिक रेम क्या है? (What is Rambus Dynamic RAM)
यह भी RAM का ही एक रूप है यह 1900 के दशक से 2000 के दशक तक Rambus द्वारा विकसित की गयी थी इसलिये इसको Rambus Dynamic Read Only Memory कहा जाता है|
इसको High-Bandwith के Application के लिये develop किया गया था इसकी डाटा ट्रान्सफर करने की गति 1.6 billion (अरब) Bytes प्रति सेकंड है मतलब की यह एक सेकंड में 1.6 Bilion Bytes ट्रान्सफर कर सकती है|
यह इस प्रकार से दिखाई देती है|

Synchronous डायनामिक रेम किसे कहते है? (Synchronous Dynamic RAM)
यह रेम अन्य रेम की तुलना में बहुत ही फ़ास्ट होती है यह DRAM का ही एक एडवांस version है इसकी परफॉरमेंस DRAM की तुलना में 4 गुना अधिक होती है| यह सिस्टम की क्लॉक के साथ synchronize हो जाती है इसलिये यह अपने आप को फ़ास्ट बना लेती है|
SDRAM की गति को Mega hertz (मेगा हर्ट्ज़) में मापा जाता है| यह 133 MHZ तक सिस्टम बस साइकिलिंग को सपोर्ट कर सकती है|

SDRAM के प्रकार (Types of SDRAM)
यह कई प्रकार की होती है जिनको हम यहाँ बता रहे है-
- SDR SDRAM
- DDR SDRAM
- DDR2 SDRAM
- DDR3 SDRAM
- DDR4 SDRAM
- DDR5 SDRAM
रोम क्या है What is ROM (Read-Only Memory)
इतना सबकुछ मेमोरी के बारे में जानने के बाद अब सवाल आता है की ROM क्या है? ROM के क्या-क्या उपयोग है रोम भी एक प्राइमरी (प्राथमिक) मेमोरी ही है जैसा की इसके नामसे ही पता चलता है की इसमें डाटा को सिर्फ पढ़ा जा सकता है|
इसमें डाटा को permanently स्टोर किया जा सकता है ROM डाटा उपकरण या कंप्यूटर के स्विच ऑफ हो जाने के बाद भी सुरक्षित रहता है मतलब इसमें डाटा डिलीट नहीं होता है यह एक Non-Volatile Memory है|
ROM की कीमत इसकी Storage Capacity पर डिपेंड करती है| इसमें बहुत ही Crucial Information स्टोर होती है क्योंकि इसमें Booting से सम्बंधित सभी initial program install होते है|
कंप्यूटर स्टार्ट होने की प्रक्रिया को Boot कहते है|
इसको Embedded system जैसे की Micro controller, Micro processor में इस्तेमाल किया जाता है| इनको Fixed Memory भी कहते है|
रोम के प्रकार (Types Of ROM in Hindi)
चूँकि इसमें डाटा को read किया जाता है इसलिये डाटा प्रोग्रमिंग के basis पर यह 4 प्रकार की होती है|
- MROM
- PROM
- EPROM
- EEPROM
MROM क्या है (What is MROM in Hindi)
यह ROM की पहले टाइप की मेमोरी है MROM का फूल फॉर्म Masked Read-Only Memory है| इसका उपयोग पहले होता था लेकिन अब इसका प्रयोग नहीं किया जाता है कारण इसमें Pre-Programmed data और Instruction स्टोर होता था|
Masked ROM Chip में एक Software Mask होता है जो semiconductor मैन्युफैक्चरिंग (इसको बनाने) के समय ही chip में प्रोग्राम कर दिया जाता है|
यह एक प्रिंटेड बुक के सामान होती है जिसमे से पढ़ सकते है लिख नहीं सकते फिर से लिखने के लिए नई बुक प्रिंट करना पड़ती है|उसी प्रकार फिर से प्रोग्राम डालने के लिये नई चिप बनानी पढ़ती है|
यह ROM Hard Wired Device है इसकी कीमत भी बहुत अधिक होती थी इसलिये इसका चलन बंद हो गया है|

PROM क्या है? (What is Programmable Read-Only Memory)
PROM का फूल फॉर्म Programmable Read-Only Memory होता है जैसा की इसके नाम से ही जान सकते है की इसमें इंस्ट्रक्शन को एक ही बार चिप में डाल सकते है एक बार प्रोग्राम को चिप में डालने के बाद इसमें से कुछ भी मिटाया नहीं जा सकता है|
इसको छोटे-छोटे फ्यूज से बनाया जाता है जिसके अन्दर प्रोग्रामिंग के द्वारा Program या instruction को लोड करते है| यह डाटा Non-Erasable होता है|
यह पहले से ही खाली होता है बाद में इसमें प्रोग्राम को Load किया जाता है|
यह खाली कॉपी के सामान होती है जिसमे पेन से लिखा जाता है पेन से लिखने के बाद मिटाया नहीं जा सकता उसी प्रकार इसमें भी प्रोग्राम डालने के बाद मिटाया नहीं जा सकता|
Example:- बच्चो के खिलोनो में जो साउंड होता है वह PROM के अन्दर ही होता है|
EPROM क्या है (What is EPROM)
इसका पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory है| यह PROM से एडवांस है क्योंकि इसमें Instruction या प्रोग्राम को load भी किया जा सकता है साथ ही अगर इसमें अपलोड किये गए प्रोग्राम में कोई Error होती है तो उस Program को Erase भी किया जा सकता है|
मतलब इसमें डाटा उपलोड भी हो सकता है और मिट भी सकता है लेकिन यह कैसे होता है?
EPROM में program को विद्युत धारा के द्वारा चार्ज के रूप में अपलोड किया जाता है इसलिये इस डाटा का Time Duration 10 सालो तक भी हो सकता है क्योकि इसमें से चार्ज बाहर नहीं जाता है|
अगर EPROM में से प्रोग्राम या डेटा को मिटाना हो तो इसके ऊपर (Ultra-Violet RAY) UV-किरणों को लगभग 40 minut तक Quartz Crystal Window से डाला जाता है तब जा कर इसमें से प्रोग्राम या चार्ज ख़त्म होता है|
डाटा मिटाने के लिये जो device होता है उसे EPROM Eraser कहा जाता है|
यह एक खाली कॉपी के समान होती है जिसमे पेंसिल से लिखा जाता है और पेंसिल से लिखा रबर से मिट सकता है इसी प्रकार इसमें भी लिखा गया प्रोग्राम मिटाया जा सकता है|
लेकिन इसमें यह समस्या है की इसमें एक लाइन को चुनकर नहीं मिटाया जा सकता इसमें पुरे प्रोग्राम को ही मिटाना पडता है|

EEPROM किसे कहते है (What is EEPROM)
यह मेमोरी अभी के समय में प्रोग्रमिंग के लिये सबसे अधिक उपयोग की जाती है इसको computer मे यूज़ किया जाता है इसके आलावा Embedded System में Microcontroler में भी प्रोयोग किया जाता है जैसे:- Raspberry Pi, Aurduino आदि|
EEPROM का फुल फॉर्म Electrically Erasable Programmable Read-Only Memory है
इसको प्रोग्राम करने के लिये सर्किट से अलग करने की जरुरत नहीं होती है|इसमें कंप्यूटर के द्वारा भी प्रोग्रामर device के माध्यम से प्रोगाम को Load कर सकते है|
इस चिप या मेमोरी की खासियत यह है की इसमें instruction या data को लगभग 10 हजार बार load और डिलीट कर सकते है|
EEPROM में Program को Delete/Erase के लिये इसको कंप्यूटर से कनेक्ट किया जाता है उसके बाद प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल Pass करके आसानी से कुछ ही मिली सेकंड में डाटा डिलीट कर सकते है|
लगभग सभी एडवांस Electronic उपकरणों के सर्किट में इसी चिप को लगाया जाता है इसका प्रयोग Robotics में भी किया जाता है|
इसको IC (Integrated circuit) भी कहते है
EEPROM के प्रकार (Types OF EEPROM in Hindi)
यह डाटा ट्रान्सफर की गति के आधार पर दो तरह की होती है|
- Serial EEPROM – इसमें डाटा ट्रान्सफर Sequence (क्रमबद्ध) तरीके में होता है इसलिये यह इसकी कार्यविधि कठिन होती है sequence में डाटा ट्रान्सफर होने के कारण यह धीमी होती है|
- Parallel EEPROM – इसमें data ट्रान्सफर Parallel होता है यह काफी महँगी होती है इसलिये इसको कम उपयोग करते है इसको EPROM और फ़्लैश मेमोरी के साथ में प्रयोग किया जाता है

सेकेंडरी मेमोरी क्या है (What Is Secondary Memory)

सेकेंडरी मेमोरी कंप्यूटर मेमोरी का दूसरा प्रकार है लेकिन यह कंप्यूटर के आलावा भी कई जगह पर काम आती है यह मेमोरी कंप्यूटर से बाहर लगती है मतलब इसे कंप्यूटर के सर्किट में नहीं जोड़ा जाता है|

यह कंप्यूटर में बाहर से जोड़ी जाती है इसलिये इसे External memory भी कहा जाता है|
इसको Secondary Storage Device या Auxillary Storage Device भी कहते है|
सेकेंडरी मेमोरी की स्टोरेज क्षमता प्राइमरी मेमोरी से बहुत अधिक हो सकती है और जरुरत पढने पर इसकी स्टोरेज क्षमता को बढाया और घटाया भी जा सकता है|
समान्यतः इसकी कीमत प्राइमरी मेमोरी से कम ही होती है लेकिन स्टोरेज क्षमता बढ़ाने पर इसकी कीमत भी बढ़ जाती है|
Secondary Memory में स्टोर किया गया डाटा कंप्यूटर या उपकरण के बंद हो जाने पर भी डिलीट नहीं होता है अत: यह Non-Volatile memory होती है|
हम कंप्यूटर या मोबाइल में जितनी भी विडियो, फोटो, सांग्स, म्यूजिक आदि जो कुछ भी देखते और सुनते है वो सब डाटा सेकेंडरी मेमोरी में संगृहीत होता है|
इसमें स्टोर किये गए डाटा को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर में कॉपी करना बहुत ही आसान है|
सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार (Types Of Secondary Memory in Hindi)
जितनी भी मेमोरी कंप्यूटर से बाहर डाटा को स्टोर करती है वो सब सेकेंडरी मेमोरी ही होती है सेकेंडरी मेमोरी बहुत प्रकार की होती है|
लेकिन संरचना और कार्य विधि के अनुसार Secondary Memory 4 Types की होती है|
- Magnetic Tap
- Magnetic Disk Drive
- Optical Disk
- Flash Memory
मेग्नटिक टेप क्या है (What is Magnetic Tap)
यह भी सेकेंडरी मेमोरी होती है, यह मेमोरी पुराने ज़माने में चलती थी वर्तमान में इसका उपयोग नहीं किया जाता है|
इस मेमोरी में एक प्लास्टिक की रिबन होती है जिस पर दोनों तरफ से Iron-Oxide (आयरन ऑक्साइड) नामक (चुम्बकीय) मेग्नटिक पदार्थ की कोटिंग कीजाती है|
जिसमे डाटा को बाइनरी फॉर्म में हेड की मदद से स्टोर किया जाता है जो विद्युत तरंगो को चुम्बकीय फ्लक्स में बदलता है इसमें डाटा को बार-बार मिटाया जा सकता है और स्टोर भी कर सकते है
इसके लम्बाई 2400 फीट तथा चौडाई 0.5 इंच होती है यह काफी सस्ती होती है|
Example: पुराने टेप रिकॉर्डर और ऑडियो कैसेट इसके सबसे अच्छे उदाहरण है|
What is Magnetic Disk Drive
यह बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी मेमोरी होती है इसमें डाटा को स्टोर करने के लिये Magnetization Process की जाती है| इसमें Tracks, Spots And Sector एरिया होते है जिनमे डाटा स्टोर होता है एवं ये एरिया मेग्नेटिक कोटिंग के साथ कवर रहता है|
Megnetic Disk में एक घूर्णन चुम्बकीय सतह और एक यांत्रिक भुजा होती है जो इस सतह पर चलती है| यांत्रिक भुजा से डाटा को पड़ा और लिखा जाता है|
यह डाटा चुम्बकीयकरण प्रक्रिया द्वारा ट्रेक और sector में व्यवस्थित होता है|
Example:- Hard Disk, एवं फ्लॉपी डिस्क भी मेग्नेटिक डिस्क ही होती है|
What Is Hard Disk
हार्डडिस्क Secondary Storage Device या Auxillary Storage Device का सबसे अच्छा उदाहरण है| यह एक कठोर धातु एलुमिनियम से बनी होती है|
हार्ड डिस्क में सबसे अधिक डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है इसमें RAM से कई गुना ज्यादा डाटा स्टोर कर सकते है|
हार्ड डिस्क में डाटा कंप्यूटर के बंद हो जाने के बाद भी डिलीट नहीं होता है| हार्ड डिस्क में प्लेट घुमने की स्पीड को RPM (Round Per Minut) कहते है जितना अधिक RPM होता है प्लेट उतनी ही अधिक घुमती है
हार्ड डिस्क 5400 RPM या 7200 RPM की होती है
हार्ड डिस्क कैसे बनती है
हार्ड डिस्क एल्युमीनियम की प्लेट्स से मिलकर बनी होती है और प्रत्येक प्लेट पर आयरन-ऑक्साइड चुम्बकीय पदार्थ की परत चढ़ी होती है|
इसमें प्लेट के बिच में एक स्पाईनडल होता है जैसे स्पाईनडल घूमता है उसके साथ प्लेट भी घुमती है इसमें Head होता है जो प्लेट से डाटा को पढता है|
प्लेट में डाटा ट्रेक और सेक्टर के रूप में स्टोर होता है| ट्रैक से ट्रेक की गति रैंडम होती है जबकि सेक्टर को श्रेणी मे ही पढ़ा जा सकता है|

What Is Floppy Disk
यह पतली और लचीली होती है इसलिये तो इसको Floppy Disk कहा जाता है| इसे DiskJet भी कहते है| इसको Myler नामक प्लास्टिक से बनाया जाता है|
इसके surface पर आयरन ऑक्साइड या फेरोइट की परत होती है जो चुम्बकीय पदार्थ कहलाता है
इसे प्लास्टिक से बने वर्गाकार प्रोटेक्टिव कवर में रख दिया जाता है| सम्पूर्ण चुम्बकीय सतह को वृत्ताकार ट्रेक में Devide कर दिया जाता है| एवं प्रत्येक ट्रेक को सेक्टर में Devide कर दिया जाता है|
इनमे 0,1 के रूप में जानकारी या डाटा स्टोर होता है एक सेक्टर में 512 byte आते है
ये इसको आसानी से कंप्यूटर में Insert And remove कर सकते है| इसके आकार के आधार पर यह दो तरह की होती है|
- 5.35 Inch (Mini Floppy) (संग्रहण क्षमता 360KB से 3.44MB)
- 3.50 inch (Micro Floppy) (संग्रहण क्षमता 3.10KB से 2.88MB)

What Is Optical Disk
यह गोल आकार की फ्लैट सतह के रूप में होती है यह भी एक secondary मेमोरी ही है इसमें Laser के उपयोग से डाटा को स्टोर किया जाता है यह डाटा Pits के रूप में संगृहीत होता होता है| इसकी क्षमता भी अधिक होती है और ये सस्ती भी होती है|
इसमें से Head के द्वारा डाटा पढ़ा जाता है लेकिन head इसकी सतह से टच नहीं होता इसलिए इसकी ख़राब होने की सम्भावना भी कम हो जाती है|
लेकिन इसका एक्सेस टाइम अधिक होता है मतलब इसको चलाने में थोडा समय लगता है|
डेटा संग्रहण क्षमता के आधार पर यह 3 प्रकार की होती है|
- CD (Compact Disk)
- DVD (Digital Versatile Disk)
- BRD (Blue-Ray Disk)
What is CD (Compact Disk)
Compact Disk या CD एक ऐसी डिस्क है जिसे हर किसी ने उपयोग किया है इसके आने से पहले टेप रिकॉर्डर चलते थे लेकिन CD ने आकर इसको replace ही कर दिया|
CD पर Digital Format में डाटा को स्टोर किया जाता है जिसे सन 1982 में फिलिप्स और सोनी कंपनी के द्वारा बनाया गया था|
ये पोली-कार्बोनेट से बनी होती है| इसमें डाटा बहुत ही छोटे डॉट के रूप में सेव किया जाता है इसको CD ड्राइव में लगाते है जिसमे एक लेज़र सेंसर होता है इससे CD ड्राइव पर बने डॉट में से डाटा को पढ़ा जाता है और उसकी इमेज बनायीं जाती है|
एक CD में लगभग 700MB डाटा संगृहीत हो सकता है मुख्य रूप से इसको ऑडियो Record करने के लिये उपयोग किया जाता है|
What is DVD (Digital Versatile Disk)
DVD भी एक ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव है इसको CD का Extended Version भी कहा जाता है| वैसे तो CD और DVD में कोई भी अंतर नहीं है|
Storage कैपेसिटी के आधार पर इनको अलग मना जाता है CD में 700MB डाटा स्टोर होता है तो वही DVD में 4.7GB से 17GB तक डाटा स्टोर किया जा सकता है| इसमें भी डेटा स्टोर करने और डेटा पढ़ने की प्रक्रिया CD के सामान ही है|
DVD के आने के बाद CD का चलन ही बंद हो गया इसमें Audio ट्रेक के साथ-साथ विडियो, Images और Software भी स्टोर किये जा सकते है|
What Is BRD (Blue-Ray Disk)
Blue-Ray एक Digital Optical disk है जो High Definition तथा ultra High Definition की विडियो को स्टोर करने के लिये उपयोग की जाती है|
इस डिस्क का मुख्य उपयोग उच्च क्वालिटी की विडियो एवं High Graphics Video Games जैसे- PS3, PS4, X-Box1 आदि को स्टोर करने के लिये किया जाता है|
इसमें Blue Color की Laser का Use किया जाता है इसलिये इसका नाम Blue-Ray है| इसका उपयोग डाटा को Read तथा Write करने के लिये किया जाता है|
इसमें लेज़र की सहायता से High Density पर काफी मात्रा में डाटा स्टोर किया जाता है|इसकी Wave Length, Red Light की तुलना में अधिक लम्बी होती है|
Blur-Ray में डीवीडी की तुलना में बहुत अधिक डाटा स्टोर कर सकते है|
यह 1 लेयर और डबल लेयर में भी उपलब्ध होती है
एक layer वाली blue-ray में 25 GB और डबल लेयर वाली Blue-ray में 50 GB तक डाटा स्टोर कर सकते है|
What is Flash Memory in Hindi
हम जितनी भी usb ड्राइव का उपयोग करते है वे Flash ड्राइव का ही रूप है flash ड्राइव बहुत छोटी है लेकिन छोटी होने के बाद भी इसकी स्टोरेज क्षमता दूसरी डिस्क से से अधिक हो सकती है|
इसकी लाइफ भी अधिक होती है यह जल्दी ख़राब भी नहीं होती है इसको आसानी से कंप्यूटर या अन्य किसी भी device में उपयोग कर सकते है|
इसमें से डाटा को read और write कर सकते है आजकल सभी लोग डाटा स्टोर करने के लिये Flash Drives का ही उपयोग करते है|
इसमें एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जिसे Pried Circuit Board कहते है| यह प्लास्टिक या धातु के कवर से पैक रहती है|
ये निम्न प्रकार की होती है-
- Memory Card
- Pen Drive
- SSD (Solid-State Drive)
- CF (Compact Flash)
- MMC
- Sony Memory Stick
- Smart Media Card
What is Memory Card
इसे तो आप जानते ही हो लेकिन इसके बारे में कुछ बाते आपको पता नहीं होगी उनकी भी जानकारी देना आवश्यक है ये भी एल फ़्लैश ड्राइव है यह साइज़ में तो एक छोटी सी चिप के सामान ही होती है|
यह आज की टेक्नोलॉजी की Non-Volatile मेमोरी है जिसमे डाटा को सुरक्षित रखना बहुत आसान है|
इसमें एक आधे गोले के अन्दर 2,4,6,8, या 10 में से कुछ भी संख्या लिखी होती है जो इसकी स्पीड को बताती है अगर गोले के अन्दर 2 है तो इसकी स्पीड कम है और अगर 10 है तो इसकी स्पीड सबसे अधिक है|
2 का मतलब 2 MB/Second और 10 मतलब 10 MB/Second की स्पीड|
इसको Micro SD Card भी कहते है इसकी स्टोरेज क्षमता 1 GB से 2 TB (2000 GB) तक होती है लेकिन वर्तमान में अभी 128GB तक ही संभव होती है| इसकी कीमत इसकी स्टोरेज क्षमता और Data transfer Speed पर निर्भर करती है|
यह 3 प्रकार की होती है
- SD (Secure Digital) (Storage Capacity 1 to 2GB)
- SDHC (Secure Digital High Capacity) (Storage Capacity 4GB to 32GB)
- SDXC (Secure Digital Extended Capacity) (Storage Capacity 48GB 2TB)
What is Pen Drive
Pendrive भी मेमोरी कार्ड की ही तरह एक फ़्लैश मेमोरी है लेकिन मेमोरी कार्ड को उपयोग करने के लिये सॉकेट पर लगाते है या किसी एडाप्टर की मदद से यूज़ करते है|
लेकिन Pendrive में सॉकेट या एडाप्टर की जरुरत नहीं होती है इसे सीधे ही उपकरण के USB Port में लगाकर यूज़ कर सकते है|
ये प्लास्टिक या मेटल (धातु) की बनायीं जाती है इसकी लम्बाई 1 cm to 6cm होती है|अभी के समय में USB 2.0 and USB 3.0 की pendrive उपलब्ध है| इसकी स्टोरेज क्षमता 512MB से 128GB तक होती है|
सबसे अच्छी पेन ड्राइव HP या sandisk कंपनी की मानी जाती है|
What is SSD (Solid State Drive)
यह भी हार्ड डिस्क की तरह ही एक स्टोरेज ड्राइव है लेकिन इमसे हार्ड डिस्क की तरह कोई भी चुबकिय पदार्थ नहीं होता है|

इसको भी RAM की तरह Semiconductor पदार्थ से बनाया जाता है इसमें डाटा को Read या Write करने के लिये Micro controller का यूज़ करते है|
इसमें एक बार डाटा को स्टोर कर देने के बाद पॉवर बंद होने के बाद भी समाप्त नहीं होता है|
इसमें एक Electronic integrated Circuit होता है जो मेमोरी या Pen drive की तरह है डाटा को सेव या स्टोर करता है|
यह पोर्टेबल होती होती है इसकी स्टोरेज क्षमता भी बहुत अधिक होती है इसकी SSD की Speed हार्डडिस्क से भी अधिक होती है|
ऐसा मान सकते है की SSD का छोटा रूप पेन ड्राइव है| इसमें कम पॉवर की जरुँरत होती है|
आज के समय में अधिक डाटा स्टोर करने के लिये Solid State Drive को ही उपयोग करते है|
इसका लाइफ टाइम बहुत अधिक होता है|
What is Cache Memory In Hindi
यह एक प्रकार की प्राइमरी मेमोरी ही है लेकिन यह RAM और ROM से थोड़ी अलग है| इसका उच्चारण “कैश” होता है|
Cache Memory कंप्यूटर में CPU और RAM के बीच डाटा ट्रान्सफर के कार्य को फ़ास्ट करने के लिये उपयोग में लायी जाती है|
Cache Memory का Working Time बहुत तेज होता है|मतलब की यह RAM और ROM से बहुत ही ज्यादा फ़ास्ट होती है| इसलिये इसे कंप्यूटर को तेज बनाने के लिये सर्किट में जोड़ा जाता है यह मेमोरी Smartphones में भी लगी होती है|
Cache Memory छोटी होती है लेकिन फिर भी यह बहुत महँगी होती है| Cache Memory की Storage क्षमता RAM और ROM से बहुत कम होती है| इसलिये इसको कम मात्रा में ही लगाते है|
यह 2 तरह की होती है-
- L-1 cache (Internal cache memory)
- L- 2 cache (external Cache memory)
Working of Cache Memory In Hindi
कैश मेमोरी कैसे काम करती है?
जैसा की हम जानते है की CPU, Random Access Memory (RAM) से डाटा को प्राप्त करता है और Operation करने के बाद वापिस RAM में डाटा को ट्रान्सफर कर देता है|
लेकिन CPU की गति बहुत ज्यादा फ़ास्ट होती है और रेम की स्पीड CPU से कम होती है|
इसलिये Cache Memory को CPU और RAM के बीच में लगा देते है जिससे जो भी instruction और डेटा पर CPU प्रोसेस करता है उसको Cache Memory अपने अन्दर स्टोर कर लेती है|
सबसे पहले CPU कैश मेमोरी से डाटा को प्राप्त करने की कोशिश करता है अगर डाटा मिल जाता है तो इसको कम टाइम में ही एक्सेस कर लेता है|
कैश मेमोरी में डाटा नहीं मिलने के बाद CPU, रैम से डाटा को प्राप्त करता है|

जो प्रोग्राम या फाइल बार-बार ओपन होती है तो वह कैश मेमोरी में सेव हो जाती है और वही से CPU को प्रोवाइड कर दी जाती है जिससे काम तेज हो जाता है|
चूँकि कैश मेमोरी की स्पीड अधिक होती है इसलिये यह CPU से कम्पेटिबल हो जाती है और डाटा प्रोसेसिंग का काम धीमा नहीं होता है वह फ़ास्ट ही बना रहता है|
बाद में यह डाटा कैश मेमोरी से RAM में ट्रान्सफर हो जाता है और RAM से Rom में चला जाता है|
लेकिन cache memory और RAM में से डाटा कंप्यूटर के बंद होने के बाद ख़त्म हो जाता है लेकिन रोम में नहीं होता है|
कोई भी कंप्यूटर सिस्टम खरीदने से पहले Cache Memory का भी पता कर लेना चाहिये|
इसलिये अगर Mobile Phone की Processing Speed कम हो जाती है तो उसकी Mobile की Cache Memory को खाली कर देना चाहिये क्योंकि मोबाइल को हम कई दिनों तक बंद नहीं करते इसलिये इसकी कैश मेमोरी फूल हो जाती है|
What is Virtual Memory In Hindi
Virtual Memory इसे आभाषी मेमोरी भी कह सकते है क्योंकि यह फिजिकल रूप में नहीं होती है|
इसका काम भी कंप्यूटर या उपकरण को कैश मेमोरी की तरह ही फ़ास्ट बनाना है|
जैसा की हम जानते है की कंप्यूटर एक Multi-Tasking Device है तो जब भी हम कंप्यूटर में बहुत सारे टास्क एक साथ करते है|
हम कंप्यूटर में कई फाइल या एप्लीकेशन को एक साथ ओपन कर लेते है तो इससे कंप्यूटर की RAM memory फूल हो जाती है जिससे उसकी स्पीड कम हो जाती है|
कभी-कभी RAM फूल हो जाने के कारण क्रेश हो जाती है साथ ही ऑपरेटिंग सिस्टम भी क्रेश हो जाता है|
इसलिये RAM की कमी को पूरा करने के लिये वर्चुअल मेमोरी का कांसेप्ट बनाया गया है|
Virtual Memory कैसे काम करती है?
जब भी कंप्यूटर में बहुत सारी एप्लीकेशन ओपन होती है तो रेम मेमोरी की स्टोरेज क्षमता कम होने के कारण उस पर लोड बढ़ जाता है|
वर्चुअल मेमोरी का काम होता है की उस एप्लीकेशन का डाटा अपने में स्टोर करना जो रन तो हो रही है लेकिन उस पर कार्य नहीं किया जा रहा वह minimize है या बैकग्राउंड में रन हो रही है|
वर्चुअल मेमोरी इन एप्लीकेशन के डाटा को ROM पर ट्रान्सफर कर देती है जिससे रेम खाली हो जाती है क्योंकि ROM की संग्रहण क्षमता अधिक होती है और जब भी उस एप्लीकेशन पर काम किया जाता है तो ROM से उसका डाटा रेम पर चला जाता है|
इस प्रक्रिया से कंप्यूटर को अधिक एप्लीकेशन पर काम करने के लिये कम रेम पर भी काम चल जाता है|
वर्चुअल मेमोरी की स्टोरेज क्षमता RAM से अधिक होती है क्योकि यह ROM में अभाषी रूप में बनी होती है लेकिन असलियत में virtual memory नहीं होती है|
इसको Upgrade करके कंप्यूटर सिस्टम की परफॉरमेंस को बढाया जा सकता है इसके लिये कुछ सेटिंग करनी पढ़ती है|

Measurement Unit of Computer Memory In Hindi
किसी भी मेमोरी में डाटा बाइनरी फॉर्म में ही स्टोर होता है चाहे वह प्राइमरी मेमोरी, सेकेंडरी, कैश मेमोरी या कोई भी मेमोरी हो, सभी मेमोरी में डाटा बाइनरी फॉर्म में ही संगृहीत रहता है|
Binary फॉर्म में 0 तथा 1 ये दो अंको का समावेश रहता है Binary में 0 तथा 1 को Bit (बिट) कहा जाता है|
Bit मेमोरी मापन (Measurement) की सबसे छोटी इकाई (unit) है|
0 मतलब 1 बिट और 1 मतलब भी एक बिट ही होता है| ऐसी 4 bits से एक निबल (Nibal) बनता है| 8 bits या 2 निबल से एक Byte बनता है| 1024 को मिलाकर 1KB (Kilo-Byte) बनती है|
इसी प्रकार इसके बाद भी कई measurement Units of computer memory होती है जिनकी लिस्ट निचे टेबल में दी गयी है-
0,1 | = | 1 बिट (Bit) |
4 बिट (bit) | = | 1 निब्बल |
8 बिट | = | 1 बाइट्स (Byte) |
1024 बाइट्स (Byte) | = | एक किलोबाइट (KB) |
1024 किलोबाइट (KB) | = | एक मेगाबाइट (MB) |
1024 मेगाबाइट (MB) | = | एक गीगाबाइट (GB) |
1024 गीगाबाइट (GB) | = | एक टेराबाइट (TB) |
1024 टेराबाइट (TB) | = | एक पेंटाइट (PB) |
1024 पेडाबाइट (PB) | = | एक एक्साबाइट (EB |
1024 एक्साबाइट (EB) | = | एक ज़ेटबाइट (ZB) |
1024 ज़ेटाबाइट (ZB) | = | एक ज़ेटबाइट (YB) |
Processing Speed Of Memory
सभी मेमोरी की प्रोसेसिंग स्पीड को ऊपर बताई गयी memory measurement Units के माध्यम से ही चेक किया जाता है| एक सेकंड में Memory जितना डाटा ट्रान्सफर कर सकती है वह processing speed of memory कहलाती है|
जैसे:- अगर मेमोरी एक सेकंड में 10KB डाटा ट्रान्सफर करती है तो इसकी speed 10Kbps या 10KB/Second होती है|
इसी प्रकार निम्न स्पीड होती है|
- BPS (Bits per Second)
- KBPS (KiloBytes Per Second)
- MBPS (MegaBytes Per Second)
- GBPS (GigaBytes Per Second)
Conclusion
जैसा की ऊपर बताया गया है की अलग-अलग मेमोरी के कार्य करने की क्षमता और स्पीड अलग-अलग है लेकिन अगर देखा जाए तो मेमोरी की परिभाषा यही कहती है
“वह उपकरण या युक्ति जिमसे किसी इनफार्मेशन या डाटा को स्टोर किया जाता है और आश्यकता होने पर उसका उपयोग किया जाता है मेमोरी कहलाती है “
सरल भाषा में – मेमोरी में किसी भी फाइल या निर्देश को बाद में उपयोग करने के लिये संगृहीत कर के रखा जाता है|
Friends हमारी यह पोस्ट-> कंप्यूटर मेमोरी क्या है इसके प्रकार- What Is Computer Memory In Hindi से आपको मेमोरी के बारे में कुछ जानकारी मिली होगी यदि इसमें बताई गयी जानकारी में कोई समस्या हो तो कृपया कमेंट के माध्यम से जरुर बताये|
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